Declaration

All the works are of a purely literary nature and are set on the fictional planet of Abracadabra. It has nothing to do with earthly affairs.

Monday, November 19, 2018

Some journeys are not meant to happen


Some journeys are not meant to happen,
For they do not fit under 
the criteria of being important
or worth the pain
in the available scheme of things.
We may think so, but we forget
Some journeys would never happen
For it is the nature of the road
To choose its travellers.

Tuesday, November 13, 2018

Stoic love




Standing by the window sill

The days pass by
Noticed
Cared
Attended

The nights pass by
Noticed
Cared
Attended

Silences

Long pauses
Deep breaths
No Catharsis
Or melodrama

Standing by the window sill
Silent
Stoic love




Monday, November 5, 2018

टूटा मकान/ ABANDONED



कई महीने पहले एक शाम सांक्तोरिया की सड़कों पर चल रहा था. अनायास ही एक क्वार्टर पर जाकर नज़र टिक गई. उस पर अंग्रेजी में लिखा था- ‘ABANDONED’ (अबैनडंड), यानि की निर्वासित, परित्यक्त या छोड़ दिया गया. फिर, कुछ दिन बाद उधर से गुज़र रहा था. नज़र उस क्वार्टर की ओर मुड़ गई. लेकिन इस बार वहां कोई क्वार्टर नहीं था. उस मकान की जगह एक अंबार पड़ा हुआ था- सीमेंट और बालू में लिपटे टूटे इंट, जंग लगी छडें, कोई छोटा-मोटा सामान वगैरह-वगैरह. इन सब को देख कर लगा की इस घर की आयु पूरी हो गयी है.

मैं उन टूटे हुए इंटों के टुकड़े को ध्यान से देखने लगा. कई कहानियाँ यूँ ही उस अंबार से उठकर हवा में तैरने लगी. मानस पटल पर चलचित्र की भांति वे कहानियाँ सजीव होने लगी. हँसी-ठहाके, रुदन-क्रंदन, भजन, शिकायतें. तरकारी की छौंक. बच्चों की तोतली हंसी, उन बच्चों का पहली बार चलना और बार-बार गिर जाना. होली-दिवाली, शादी-ब्याह. एक मध्यम वर्गीय परिवार की परेशानियाँ, ख़ुशी के छोटे-छोटे पल, गम और हताशा के पल. संगीत. सभी कुछ था उसमें. कई तरह की आवाजें तरंग बन हवा में तैरने लगे.    
  
एक और बात- मैंने सोचा क्या इसे घर कहना ठीक होगा? यह तो महज़ एक क्वार्टर है- मात्र ठिकाना भर. इसके अन्दर अस्थायित्व का बोध समाहित है. ऐसे मकान अपने बाशिंदों को हमेशा अस्थिरता का बोध कराते रहते हैं. अगर नौकरी घर के पास नहीं मिली तो नौकरी और तबादले में तो ननद-भौजाई का रिश्ता हो जाता है. हमेशा एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा में लगे ही रहते हैं. मुलाजिम को स्थायी घर का सुख सेवा-निवृति के बाद ही मिलता है. लेकिन तब तक ज़न्दगी एक बड़ा हिस्सा बीत चुका होता है. उम्र बढती जाती है, शरीर की शक्तियां घटती जाती है.

दार्शनिक स्वभाव से सोंचे तो यह भी कह सकते हैं की जो लोग इस तरह के क्वार्टर में नहीं रहते हैं, वो भी एक दूसरे तरह के क्वार्टर में रहते है. अब तक मनुष्य को अमरत्व का अभिशाप तो प्राप्त नहीं हुआ है. हाँ, कभी-कभी जब जिंदगी में सब कुछ ठीक चल रहा होता है तो लगता है की समय बदलेगा नहीं. लेकिन तभी हमें परिस्थितियों का ऐसा थप्पर पड़ता है की हम औंधे मुहं गिर जाते है और फिर अपनी मनुष्यता का बोध होता है.

ज़रा सोचिये क्या क्वार्टर सिर्फ ईंट-गारे से बनती है?

उन यादों का क्या जिनका स्वेटर बुनता ही चला जाता है? अब किन्नी को ही ले लीजिये. कजोराग्राम की कॉलोनी के एक क्वार्टर में पैदा हुई, झालबगान पहुँचते-पहुँचते कॉलेज पहुँच गयी. फिर अब कुछ दिन पहले शादी भी थी. दिसरगढ़ क्लब में रिसेप्शन था, तभी पता चला.

कुछ महीने बाद फिर उधर से गुजर रहा था.


देखा नए क्वार्टर फिर से बन रहे हैं. इसका मतलब था, नयी स्मृतियाँ फिर से जन्म लेंगी. यादें फिर से गुल्लक में जमा होने लगेंगी. बरामदों पर हंसी-ठहाकों की आवाजें फिर से गूंजेगी. बच्चों की किलकारियां, उनके झगड़े, उनकी शरारतें, फिर से उस मिट्टी के टुकड़े को हरा-भरा करेंगे. एक नया परिवार फिर उसे कुछ ही दिनों के लिए ही सही, उसे अपना घर कहेगा. अपनी गृहस्ती बसाएगा. नई कहानियाँ फिर से सजीव होने लगेंगी. फिर वही चक्र चलता रहेगा. चलता रहेगा.

Friday, July 20, 2018

कौन किसके साथ चलता है


कौन किसके साथ चलता है
इस धुन्ध भरी डगर पर
जहाँ सबके अपने रास्ते हैं
अपने ख्वाब हैं
अपनी खुशियाँ हैं
अपनी परेशानियाँ हैं
अपनी जद्दोजहद है

अपनी ज़िन्दगी है.

Monday, June 18, 2018

The impossibility of love


On hot summer days
And humid nights
The impossibility of love
Reveals itself
On the Curtain
Hanging by the door
In shapes of tattered collages
Of times gone by
And yet to come
Of geographies near
And far
Of shores and seas
Of plains and mountains
Of smells and touches
Of despair and hope

Engulfed by sights
And sounds
A heady feeling
Sinks in
of a concoction
numbing the brain.
Grains of sand
Flutter around
Like birds on a journey
Of migration.
They should never be
Held up,
For they must move
Like love
Impossibility of love

Sunday, January 28, 2018

Attempt at writing a lullaby

The night has fallen
The moon has swollen
The stars are sparkling
Yet your eyes are twinkling
With all the inherited mischief

My sweet little gift of wonder
Cease your thoughts going yonder
Close your eyes a bit longer
Let the sleep fairy make you warmer
And take you to see

The melange of peace and happiness.

Monday, January 15, 2018

winter morning dew
white flowers turning into pink

your cheeks turned red vanished in fog

Sunday, January 14, 2018

The White Flowers

This winter morning
I saw white flowers
in my pot
turning pink
and I remembered how
your cheeks had turned pink

a few winters ago.

Tuesday, January 2, 2018

स्मारक

लपाभो गैस त्रासदी से पीड़ित लोगों के जीवन से सभी समस्याएं दूर करने का राम-बाण तरीका दूंढ़ निकाला गया है. करोड़ों की लागत से एक लम्बी सी स्मारक बना दी गयी. प्रदेश के हुक्मरानों का दावा था की इस स्मारक के बनते ही सारी समस्या एक ही झटके में सुलझ जाएगी. पीड़ितों को मुआवजा मिल जायेगा, बीमार लोग चंगे हो जायेंगे और दोषियों को सजा भी मिल जाएगी. ऐसा राम-बाण इलाज, वो भी चंद करोड़ों में. प्रपोजल पास हो गया. एक चीनी कंपनी ने टेंडर जीता. कुछ ही महीनों में स्मारक तैयार था. बादशाह सलामत फीता काटने आये. लेकिन तभी स्मारक के उपर की एक ईंट टूट कर गिर गयी. एक अजीब सी गंध चारों तरफ फ़ैल गई- जिन्दा इन्सान के जलते गोश्त की गंध.

झंडा

अबराकाडबरा नाम के एक पुराने देश की बात है. वहां एक गरीब राज्य है जिसको डीकू अभी भी लूट रहे हैं. वहां की राजधानी की एक पहाड़ी पर उस समय तक का सबसे ऊँचा झंडा लहराया गया. उस झंडे को कई सौ किलोमीटर दूर से ही देखा जा सकता था, जैसी की चीन की दीवार को चाँद पर से भी देखा जा सकता है.

जैसे ही झंडे को लहराया गया, उस राज्य में एक अनोखी बात हुई. सभी आदिवासियों के पेट भर गए. लड़कियों की खरीद फ़रोख्त बंद हो गई. राज्य की खनिज-सम्पदा का उपयोग वहां के लोगों की जिन्दगियों को सवारने में किया जाने लगा. डीकू की तानाशाशी अब इतिहास की बात थी.


128 किलोमीटर दूर गाडेमसी जिले की उस लड़की ने भी झंडे को देखा. झंडे को देखते ही बिना आधार कार्ड के ही उसकी भूख हमेशा के लिए शांत हो गयी.