Declaration

All the works are of a purely literary nature and are set on the fictional planet of Abracadabra. It has nothing to do with earthly affairs.

Monday, June 29, 2015

नाव

उदास आया था
उदास लौट रहा हूँ
लेकिन इस बात को लेकर
कोई उदासी नहीं है
ज़िंदगी की गहराइयों में
ज्यों-ज्यों उतरता गया
परत दर परत तह कर रखी
उदासी ही मिलती गयी

बारिश का मौसम है
खाने की चीज़ें और
दिल की दीवारें
दोनों में सीलन पड़ गयी हैं
सूखते रिश्ते
बिखरती हुई यादें
जिन्हें संजोता-समेटता
ज़िन्दगी के एक सफ़र से लौटा

एक बार फिर समझ में आया की
गतिमान समय के सिवा
सब कुछ बदलता है
सब पीछे छूटता है
सिर्फ सिसिफियस का साथ रहता है
इसलिए ज़िन्दगी की नाव में
अनेकों चक्कर लगते रहेंगे
जब तक नाव डूब नहीं जाती

इसलिए आशा की नाव
खेने के सिवा
कोई और रास्ता नहीं  
यह भी समझ में आया की
यह कोई ट्रेजेडी नहीं है
सिर्फ सत्य है
इसलिए इस बात को लेकर भी
कोई उदासी नहीं है

2 comments:

  1. बहुत खूब!
    उम्मीद अच्छी चीज़ है,
    शायद, सबसे अच्छी चीज़ होती है!!!
    और अच्छी चीज़ें मरा नही करती!! - द शौशैंक रिडेंप्शन

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  2. बहुत बढ़िया,
    बड़ी खूबसूरती से कही अपनी बात आपने.....
    पूरी कविता दिल को छू कर वही रहने की बात कह रही है जी,

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