तितलियाँ री तितलियाँ
नीली तितलियाँ पीली तितलियाँ
रंग बिरंगी तितलियाँ
उड़ रही हैं आस-पास
धूप छनकर गिर रही है
इन मासूमों के पँखों से
और धरती पर बिखेरती जाती हैं
ये
अपनी सुन्दर सी परछाईयां
इस सवेरे उठकर देखा
शान्त प्रांगन के बीच
छुट्टी मनाती ये तितलियां
हरी घास और लम्बें पेड़ों
के बीच मचलती ये तितलियाँ
हलके से छूकर चली जाती
प्रसन्नचित्त और स्वतंत्र, चारों
ओर
ठहकती-मचलती ये तितलियाँ
मन के अन्दर छिपी
कल्पनाओं की तरह
कभी बैठती कभी उड़ जाती
एक सामान्य से प्राणी को
जीवन दर्शन का पाठ पढ़ाती
आत्म-मंथन का मार्ग प्रशस्त
करती
और फिर देखते ही देखते
उड़ जाती ये तितलियाँ
सर्दी की पहली सुगबुगाहट
जब धूप से परेशानी नहीं होती
इन नाचती हुई तितलियों की
क्रीड़ा को देख कर मन भर जाता
है
पलों को समेटती, क्षण-भंगुरता
से
द्वंद करती, अपने एहसास को
फैलाती
और अंत में बटोरती कुछ नहीं
सिर्फ ठह्कती-मचलती,
और उड़ जाती ये तितलियाँ
और आओ, और आओ
मेरे ज़िन्दगी के बागीचे में
तितलियाँ री तितलियाँ
नीली तितलियाँ पीली तितलियाँ
रंग बिरंगी तितलियाँ
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