सर्दी निचली सीढ़ी तक पहुँच गयी है। बस ड्योढ़ी छोड़ने
भर की देरी है। सामने ही सेमल का पेड़ है जो खड़े-खड़े मुस्कुराते रहता है। रात आंधी
आई थी, इस कारण से ज़मीन पर सेमल के फूलों का गलीचा बिछ गया है। इन फूलों का टेस
गुलाबी रंग तुम्हारे होठों की याद दिलाता है। सुना है, इन फूलों से तकिया बनता है
क्योंकि इससे मुलायम रुई मिलती है। मैं तुम्हें सेमल के फूलों से बना तकिया ला दूंगा।
तब शायद तुम रोज़ रात चुप-चाप सो जाया करोगी और सपनों में आकर तंग नहीं करोगी। तब
मैं चैन से सोऊंगा।
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