Declaration

All the works are of a purely literary nature and are set on the fictional planet of Abracadabra. It has nothing to do with earthly affairs.

Monday, December 10, 2012

सलवटें (1) रोमा और राकेश


सूरज की एक हल्की सी किरण दूसरे और तीसरे परदे के बीच की हल्की सी सुराख़ से निकलते हुए रोमा की अधखुली हुई होठों की पंखुरियों पर पड़ी और थोडा फ़ैल गयी। होठों का गुलाबीपन सूरज की किरणों के पड़ते ही टेस लाल रंग का हो गया और धीरे धीरे वही किरण दाहिनी गाल की गोलाईयों को चूमते दाहिने कान से लगी सोने की चमकती बाली पर जैसे ही पड़ी रौशनी से पूरा चेहरा चमकने लगा। पलकों ने कुछ पलों के लिए एक दूसरे का साथ छोड़ा और आँखों के खुलते खुलते रोमा ने अंगराई ली, चेहरे पर बिखर आई लटों को समेटा, बेहद मुड़ी हुई साड़ी को कमर से कोंचा और अपने रंगे हुए पैरों को पलंग से उठाकर फर्श पर रखते चप्पलों को खोजने लगी।

पैरों में हवाई चप्पलों को डालते हुए रोमा धीरे धीरे बिस्तर से उठ गयी और सामने की ओर जाने को हुई। फिर अचानक पीछे को मुड़ी और नज़र जा कर टिक गयी उस नयी नीली चादर पर जिसमे बैगनी रंग का ख़ूबसूरत बॉर्डर था। बीच में झरने से बहते पानी का दृश्य था। रोमा ने देखा झरने वाली जगह पर कुछ सलवटें बन कर उभर आई थी। उत्सुकतावश गिनने लगी रोमा उन सलवटों को। यही कोई सात थीं। सलवटों के उभरने से ऐसा लग रहा था की झरनों से निकलती हुई कई धाराएँ बन गयी हो। और रोमा को लगा उसकी जिंदगी भी अब एक नयी धारा में मिल रही है। लेकिन जैसे ही बिछड़ने का समय आता है अपने अतीत से, बीते दिनों से जुडी घटनाएँ अन्तःपुर में हिल्लोरें मारने लगती है। रोमा को भी ऐसा ही अहसास हो रहा था।

उन सलवटों में नयी धारा की गंगोत्री तो थी ही लेकिन गंगोत्री के पहले भी तो गंगा का अस्तित्व होता है। भले ही दिखाई नहीं देता है किसी को। तो रोमा का भी अस्तित्व था राकेश से मिलने से पहले। हाँ उसका बचपन एकदम से बालहंस, नंदन, चंदामामा, चम्पक की कहानियों जैसा नहीं था। पर कुछ बेशकीमती यादें तो थी ही उसकी अपनी वाली पोटली में जिसे वह घर के रोशनदान के बगल वाली खोह में छोड़ कर आना चाह रही थी पर आखिरी वक्त में जब रोमा घर छोड़ विदा हो रही थी तब वह पोटली खोह से निकल कर फूलों से सजी कार के पिछली सीट पर बैठी रोमा के गोद में गिर आई थी और फिर रोमा ने उसे अपने पल्लू में बांध लिया था। निचले मध्यम वर्ग से वास्ता और फिर बचपन में ही लकीर खींच दी गयी थी जिदगी की। स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी फिर मल्टी नेशनल कंपनी में १५ हज़ार की पगार पर नौकरी। राकेश से वहीँ मुलाकात हुई थी पहली बार जब ऑफिस में अपने पहले ही दिन १।१५ मिनट पर कैंटीन में खाने का प्लेट थामे इधर उधर देख रही थी एक खाली सीट के लिए। राकेश ने हाथ दिखाकर बुलाया था और एडजस्ट कर उसे अपने ही पास बिठाया था। फिर वही स्टैण्डर्ड स्टोरी। ऑफिस के बाद काफी हॉउस, फिर अगले महीने राज मल्टीप्लेक्स में रोमांटिक मूवी। दस महीनों तक बाईक पर साथ आना-जाना। करीब एक साल बाद दोनों ने अपने परिवारों को बताया। शुरुआती ना-नुकुर के बाद मान गए। दो महीने बाद इनगेजमेंट और पांचवे महीने में शादी। पिछली रात उनकी पहली रात थी एक दूसरे के साथ। उनकी सुहागरात थी।

और अब सुबह उन सलवटों को देख रही थी रोमा। नहीं सब नार्मल बात थी। उसने अपने पापा के घर को छोड़ दिया था। बचपन को छोड़ दिया था। घर के सामने वाली उस पीपल के पेड़ को छोड़ दिया जिसके दाहिनी टहनी पर उस छोटी सी चिड़िया ने पहली बार घोंसला बनाया था लेकिन पिछली जुलाई में जब तेज़ हवा में वह गिर गया था, तब रोमा ने ही उस घोंसले को पूरा उड़ने से बचाया था। और फिर उनकी दोस्ती हो गयी थी। और फिर निम्मी थी जिसके साथ गर्मियों की छुट्टियों में बैठकर सोनू से मांगे हुए टिकोले खाती। वह मंटू भी तो था जो उसकी ही कक्षा में पढ़ता था और जिसके साथ पूरे दो साल तक नैन-मटक्का चला था। फिर टीचर से किसी ने शिकायत कर दी और उसे काफी सुनाया था सुनैना मैडम ने। फिर एकाएक सब बंद हो गया था। उन सलवटों में न जाने क्या क्या दिख रहा था रोमा को। दुनिया के लिए सब नार्मल है। बोलते हैं अब औरत को अब उसका हक़ मिल रहा है। लेकिन अभी बहुत सी चीज़ें शायद नार्मल है।

रोमा राकेश को प्यार करती थी। इसलिए जब शादी के बाद उसे अपने घर में रहने की बात कही थी तो यह तो नार्मल ही लगा था उसे भी और सब को भी। उस समय रोमा ने उन सलवटों को नहीं देखा था। अब देख रही थी। धीरे धीरे प्रकाश फ़ैल रहा था पूरे कमरे में। राकेश ने आंखे खोली और रोमा को पास बुलाया। मुस्कुराती हुई रोमा पास गयी और उसने अपने आगोश में ले लिया उसे। क्विक मॉर्निंग लव मेकिंग सेशन के बाद रोमा छिटक कर एक तरफ हो गयी। राकेश ने कहा, “चाय मिलेगी डार्लिंग?”।  “अभी लाती हूँ”, रोमा कहते-कहते साड़ी को कमर से कोंचते सर को पल्लू से ढकते हुए किचन की ओर बढ़ गयी।

प्यार के बाद चाय यह नार्मल बात है।

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