आंगन में एक चाँद टंगा है
अभी
हाल ही में पूरा गोल था
अब
धीरे- धीरे कटने लगा है
उसके
दाग़ झलकते थे पहले
अब
वो दाग़ भी सिमटने लगा है
गहरे
सूने आकाश में वो चाँद
कुछ
दिन के लिए चमकने लगा था
बादल
नहीं थे तो दमकने लगा था
पर
पक्ष परिवर्तन होते -होते
अब
वो चाँद भी दुबकने लगा है
मौसम
की आज़माइश भी है
चाँद
आएगा और जायेगा भी
आकाश
लाल और नील भी होगा
मनुष्य
आशातीत और आशाहीन भी होगा
चक्र
परिवर्तन का तो चलता ही रहेगा
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