Declaration

All the works are of a purely literary nature and are set on the fictional planet of Abracadabra. It has nothing to do with earthly affairs.

Saturday, October 24, 2020

काजू


मंगल  ग्रह  की बात है.

अचानक सामने एक कटोरी काजू को प्रकट होते देख अचंभित हो गया. उस काजू की कटोरी ने कौतुहल और विस्मयता दोनों पैदा कर दिया. मंगल ग्रह की एक खास बात होती है.  वहां एक नस्ल होती है जिसका नाम नौकरशाह होता है. पृथ्वी के नौकरशाहों से एक दम भिन्न. चलिए मंगल की नौकरशाही की पड़ताल करते हैं.

मंगलवासियों के बीच रहते रहते और उनसे बातचीत करते करते कई सवाल ज़ेहन में कौंध रहे थे. नौकरशाही की पराकाष्ठा क्या है? कब आपको समझा जायेगा की आप नौकरशाही के नियम-कानून में पारंगत हो गए हैं? कौतुहल भरे सवाल हैं शायद, या रोजमर्रा की बातें.

प्रथम पुरस्कार जिस गुण को जाता है, उसका नाम चापलूसी है. चापलूसी एक सर्वोत्तम गुण है जो मंगल ग्रह के एक उत्तम नौकरशाह में टपकता रहता है. इस गुण को पहचानने के लिए मेहनत नहीं करनी होगी. दाएं-बाएँ दिख ही जायेंगे. कुछ लोग विशुद्ध चाटुकार हो सकते हैं, लेकिन कई लोग महीन चाटुकार होते है. ऐसा लगेगा की बस वो आगे-पीछे ही परछाई बन चलते रहते हैं. साजन की सजनी और सजनी का साजन बनने की अनवरत कोशिश होती रहती है.

दूसरा सबसे उत्तम गुण होता है अपने काम को बढ़ाचढ़ाकर पेश करना. अगर आप समस्याओं की फेहरहिस्त नहीं जारी करते हैं तो समझा जायेगा की आप काम नहीं कर रहे हैं. चुपचाप काम करना मूर्खतापूर्ण व्यवहार माना जाता है. मजेदार बात यह है की नयी नस्ल भी इन गुणों को धरल्ले से आत्मसात कर रही है.

अगला गुण होता है अपना ठीकरा किसी दूसरे पर फोड़ने के लिए सिर पहले से ढूंढ कर रखना. बड़े आयोजनों में यह आम बात है की किसकी बलि दी जाएगी, यह देख कर रखना होता है. नौकरशाही का काम इतना उलझन भरा होता है और इसे उलझन भरा करने की भरपूर कोशिश होती है की गलतियाँ होने के पूरे आसार होते हैं. इसलिए बकरा आपने सेट किया हुआ है तो ही अच्छा नहीं तो आपको ही काटा जायेगा.  

अगला एक मज़ेदार गुण है और वो है बेशर्मी. या तो आप बेशर्म हो जायेंगे या बना दिए जायेंगे. ऐसा हो सकता है की सामान्य चीज़ों के लिए इतना परेशान किया जायेगा की धीरे-धीरे आत्म-सम्मान की भावना का ही ह्वास हो जायेगा. शायद यही कोशिश होती है की आपको इतना तोड़ दिया जाये की आप भी ज़मात में शामिल हो जायें. आप भी उसी रंग में रंग जायें.   

लेकिन सबसे खतरनाक बात जो होती है वह होती है स्वयं का मर जाना, अपने व्यक्तित्व का कहीं खो जाना. ये पाश से कभी सुना था की सबसे खतरनाक क्या होता है. जीवन का जी-हुजूरी और सर-सर की सरकती सड़क पर पानी की तरह बहते जाना, कोई ठहराव का होना बस बहते ही जाना. चलो अगर कोई नास्तिक ही हो तो क्या ऐसे ही बह जाना ठीक है. अगर क़यामत की रात जब हिसाब होगा तो यही कहेंगे आधी ज़िन्दगी सर-सर करने में निकाल दी और आधी ज़िन्दगी दूसरे पर रौब झाड़ने में और अकड़ने में निकाल दी.  

खैर छोडिये इन बातों को. अभी तो मंगल से पृथ्वी पर भी जाना है. वहां के नौकरशाह से भी मिलकर देखते हैं तो नौकरशाही वाली पड़ताल भी पूरी हो. तब तक के लिए मिलन कुंदेरा वाली एक असहनीय हल्केपन के बोझ को सिसिफियस की भांति ताउम्र बस उठाते रहिये. बस उठाते रहिये. शायद यही पुरुषार्थ का अंतिम द्वार है. शायद मोक्ष मिल ही जायेगा या कम से कम बोधिसत्त्व ही बन जायेंगे.